बालाघाट। नल जल योजना की थमी रफ्तार
बालाघाट। हर घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने की मंशा से शासन द्वारा जल जीवन मिशन योजना के तहत कार्य करवाए जा रहे है। हर घर तक पानी पहुंचाने जल जीवन मिशन के तहत नल जल योजना के कार्य पिछले तीन चार वर्षो से शुरू किए गए है इस पूरी योजना के कार्य वर्ष 2024 तक पूर्ण करना था लेकिन अब तक आधी योजनाएं भी पूर्ण होकर ग्राम पंचायतों को हैंडओवर नहीं हुई है। अभी लक्ष्य बहुत बाकी है ऐसे में निर्धारित समय तक टारगेट पूरा होते नही दिख रहा है। आपको बताए की पूर्व में इसके कार्यों में काफी तेजी लाई गई थी, अधिकारियों द्वारा कार्यवाही कर योजना को जल्द पूर्ण करने के निर्देश दिए गए थे जिसके परिणाम स्वरूप जिले में इस योजना के कार्यो में अच्छी प्रगति देखने मिली थी, लेकिन अब वह बिल्कुल नजर नही आ रही है।
करीब तीन सौ योजनाएं ही हुई पूर्ण
विभागीय जानकारी के अनुसार जिले में जल जीवन मिशन की 550 से अधिक योजनाओं के कार्य होना था, जिनमे से अब तक करीब तीन सैकड़ा योजनाएं ही पूर्ण हो पाई है। इसमें भी विभागीय आंकड़ों में जितनी योजना पूर्ण होना दिखाया जा रहा है उसमे आधी योजना भी अभी तक ग्राम पंचायतों को हैंडओवर नहीं हो पाई है। ऐसे में सवाल उठ रहे है कि यदि योजना ग्राम पंचायत के हैंडओवर ही नहीं हुई है तो उसे पूर्ण क्यों दिखाया जा रहा है। ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों की ओर से जानकारी सामने आ रही है की नल जल योजना से संबंधित कार्य बाकी होने के कारण ही उनके द्वारा योजना को अपने हैंडओवर में नही लिया गया है। यदि ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव और ग्रामीण पूरे कार्य से जब तक संतुष्ट नही होंगे तब तक योजना को कैसे पूर्ण माना जा सकता है।
दो प्रमुख अधिकारियों के स्थानांतरण होने से कार्य हुए प्रभावित
आपको ज्ञात होगा कि कुछ माह पहले ही निर्माण एजेंसी पीएचई विभाग के दो प्रमुख अधिकारियों का स्थानांतरण हो गया। सबसे पहले पीएचई विभाग के कार्यपालन यंत्री अरुण श्रीवास्तव पर जैसे ही कार्यवाही हुई उसके बाद कार्य बहुत ज्यादा प्रभावित हो गये, वही उसके बाद प्रमुख अधिकारी के रूप में बालाघाट डिवीजन के एसडीओ शुभम अग्रवाल का स्थानांतरण अन्य जिले में कर दिया गया उसके बाद से निर्माण कार्य की गति लगभग थम सी गई। सभी के द्वारा यही कहा जा रहा है कि दोनों अधिकारी के नहीं होने से कार्य बहुत प्रभावित हो गया है निर्माण कार्य की रफ्तार भी थम गई है। वर्तमान कार्यपालन यंत्री श्री उइके द्वारा क्षेत्र का निरीक्षण कर कार्य में रफ्तार लाने की काफी कोशिश की जा रही है लेकिन वह कारगर साबित नहीं हो रहा है।
बालाघाट मुख्यालय के समीप के गांवो के है बुरे हाल
पीएचई विभाग द्वारा कराए जा रहे नल जल योजनाओं के कार्य की बात करें तो, इस योजनाओं के हाल बहुत दयनीय है। जिला मुख्यालय से लगे ग्रामों में जाकर इस योजना के कार्यों की जानकारी ली जाए तो इसकी सच्चाई सामने आ सकती है। अधिकारियों द्वारा ठेकेदारों को मनमाने कार्य बांट दिए गए और राशि भी देने में गंभीरता नहीं बरती गई, यही कारण है कि योजना के कार्य लंबे समय से अटके पड़े हैं और पानी के लिए ग्रामीण जनता परेशान हो रही है। जब जिला मुख्यालय के समीप के गांव के हाल बुरे हैं तो दूरवर्ती अंचल के ग्रामों में योजना की क्या स्थिति होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
उपयंत्रियो से नहीं मांगा जाता जवाब
नल जल योजना के कार्यों की वास्तविक स्थिति उपयंत्री को ही पता होती है क्योंकि उपयंत्री ही वे अधिकारी होते हैं जो ग्रामीण अंचल में जाकर कार्य कराते हैं। कई जगह ऐसे हैं जहां ठेकेदार द्वारा अपनी मनमर्जी से कार्य कराया गया, उपयंत्री द्वारा मौके पर जाकर कार्य कराने में गंभीरता नहीं दिखाई गई। सोनेवानी, मोहनपुर की बात करें या जिला मुख्यालय से लगे ग्राम पंचायत बगदरा नवेगांव ऐसे बहुत से गांव हैं जिनमें अधिकारियों की लापरवाही उजागर हो रही है। कार्य में प्रगति नहीं देखने मिल रही है इसके संबंध में उपयंत्रियो से जवाब तलब किए जाने की आवश्यकता है तब ही निर्माण कार्य में प्रगति देखने मिलेगी और गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
पुरानी योजनाओं के कार्यों की रफ्तार धीमी है- उइके
इसके संबंध में चर्चा करने पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन यंत्री बी एल उइके ने बताया कि कार्य पूर्ण करने के लिए गंभीरता के साथ प्रयास किया जा रहा है। कार्य की रफ्तार धीमी होने की बात है तो यह वे कार्य है जो पुराने हैं। यह योजनाएं पूर्ण होने के अंतिम पड़ाव पर है, हमारे द्वारा अधूरी योजनाओं के कार्य को पूर्ण करने पूरा प्रयास किया जा रहा है।