बालाघाट। 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है, देश की आंतरिक सुरक्षा के दौरान अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए वीरगति को प्राप्त करने वाले शहीदों को याद कर उनके परिवार को सम्मानित करने के लिए शनिवार को स्थानीय पुलिस लाइन के शहीद स्मारक स्थल पर पुलिस स्मृति दिवस मनाया गया। इस अवसर पर पुलिस महानिरीक्षक संजय सिंह ने देश की सुरक्षा के दौरान शहीद हुए बलिदानियों के नामो का वाचन कर उन्हें याद किया। जिसके बाद शहीदों की फोटो पर माल्यार्पण कर उन्हें सलामी दी गई। सलामी पश्चात शहीदों के परिवार के सदस्यों को शाल श्रीफल देकर सम्मानित कर उन्हें हर मुमकिन मदद करने का आश्वासन दिया गया।
इसलिए मनाया जाता है शहीद दिवस
पुलिस महानिरीक्षक ने बताया यह बात साल 1959 21 अक्टूबर की है जब दस पुलिसकर्मियों ने अपना बलिदान दिया था। तब तिब्बत के साथ भारत की 2500 मील लंबी सीमा की निगरानी की जिम्मेदारी भारत के पुलिसकर्मियों की थी। इस घटना से एक दिन पहले 20 अक्टूबर 1959 को तीसरी बटालियन की एक कंपनी को उत्तर पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स नाम के स्थान पर तैनात किया गया था। इस कंपनी को 3 टुकड़ियों में बांटकर सीमा सुरक्षा की बागडोर दी गई थी। लाइन ऑफ कंट्रोल में ये जवान गश्त के लिए निकले, आगे गई दो टुकड़ी के सदस्य उस दिन दोपहर बाद तक लौट आए लेकिन तीसरी टुकड़ी के सदस्य नहीं लौटे उस टुकड़ी में दो पुलिस कॉन्स्टेबल और एक पोर्टर शामिल थे। अगले दिन फिर सभी जवानों को इकट्ठा किया गया और गुमशुदा लोगों की तलाश के लिए एक टुकड़ी का गठन किया गया। गुमशुदा हो गए पुलिसकर्मियों की तलाश में तत्कालीन डीसीआईओ करम सिंह के नतृत्व में एक टुकड़ी 21 अक्टूबर को सीमा के लिए निकली, इस टुकड़ी में करीब 20 पुलिसकर्मी शामिल थे करम सिंह घोड़े पर सवार थे जबकि बाकि पुलिसकर्मी पैदल थे पैदल सैनिकों को 3 टुकड़ियों में बांट दिया गया था। तभी दोपहर के समय चीन के सैनिकों ने एक पहाड़ी से गोलियां चलाना और ग्रेनेड्स फेंकना शुरू कर दिया, जिसमें दस वीर शहीद हो गए थे। उन पुलिसकर्मियों का अंतिम संस्कार हॉट स्प्रिंग्स में पूरे पुलिस सम्मान के साथ हुआ उन्हीं शहीदों के सम्मान में हर साल 21 अक्टूबर को नेशनल पुलिस डे या पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है।
जिले में 1991 में हुई थी पहली वारदात
पुलिस महानिरीक्षक संजय सिंह ने बताया कि बालाघाट जिले में नक्सली उन्मूलन के लिए अपने कर्तव्यों का निवर्हन करते हुए अब तक 40 पुलिस के जवान शहीद हो चुके है। उन्होंने बताया कि साल 1991 में सीतापाला के जंगल में पहला नक्सली हमला हुआ था, जिसमें ड्यूटी में तैनात नौ पुलिस के जवान बलिदान हो गए थे। उन्होंने बताया कि अब तक पूरे मध्यप्रदेश में कुल 188 जवान शहीद हुए है। स्मृति दिवस के अवसर पर कलेक्टर डा. गिरीश कुमार मिश्रा, पुलिस अधीक्षक समीर सौरभ, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विजय डावर, नक्सल सेल अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक देवेन्द्र यादव, डीएफओ अभिनव पल्लव, नगर पुलिस अधीक्षक अंजुल अंकेश मिश्रा, कोतवाली निरीक्षक प्रकाश वास्कले, नवेगांव ग्रामीण थाना निरीक्षक केएस गेहलोत, भरवेली थाना निरीक्षक रविन्द्र कुमार बारिया समेत अन्य मौजूद रहे।