आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने चाबी सौपकर जताया विरोध
रैली निकालकर सौंपा ज्ञापन
बालाघाट। बीते 15 मार्च से अपनी विभिन्न लंबित मांगों को लेकर हड़ताल कर रही आंगनवाडी कार्यकर्ताओं ने 27 मार्च को रैली निकालकर प्रदर्शन किया और जिला कलेक्टर को आंगनवाडी कंद्रो की चाबी सौंप दी। उनका कहना है कि अब प्रशासन सहयोगिनियों से ही आंगनवाड़ी का संचालन करवाये। दरअसल, आंगनवाडी कार्यकर्तायें नियमितिकरण, वेतन वृद्धि और शासकीय कर्मचारी घोषित करने जैसी विभिन्न लंबित मांगो को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रही है और ज्ञापन के जरिये सरकार का अपनी ओर ध्यान आकर्षण भी करवा रही है। लेकिन सरकार का उनकी ओर कोई ध्यान नही पहुंचा है। जिसके चलते आंगनवाडी कार्यकर्ता और सहायिका बिते 15 मार्च से पुन: अनिश्चित कालीन हडताल पर है। वही 27 मार्च को आंगनवाडी कार्यकर्ता और सहायिकाओं ने रैली निकालकर बालाघाट कलेक्टर को आंगनबाडी केंद्रो में लगे तालो की चाबी भी सौप दी है। संगठन की जिलाध्यक्ष योगिता कावरे ने बताया कि पूर्व में जिला कलेक्टर ने उन्हे हड़ताल समाप्त करके अपनी जिम्मेदारी निभाने का अल्टीमेटम दिया था, अन्यथा सहयोगिनी से आंगनवाडी खुलवाने की चेतावनी दी थी। जिसको लेकर आज पूरे बालाघाट जिले की 2200 आंगनबाडी केंद्रो की कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं ने प्रशासन को अपनी अपनी आंगनबाडी केंद्रो की चांबी सौंप दी है और आंगनबाड़ी केंद्रो में लॉकडाउन लगा दिया है। रैली निकालकर संयुक्त रूप से कलेक्टर को सौंपी चाबीबता दें कि हड़ताल कर रहे आईसीडीएस, परियोजना अधिकारी संघ, पर्यवेक्षक कल्याण संघ, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, मिनी कार्यकर्ता सहायिका के द्वारा अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल की जा रही है इसके बावजूद सरकार के द्वारा उनके ऊपर किसी प्रकार का ध्यानाकर्षण ना करते हुए मुंह मोड़ लिया है जिसको लेकर हड़ताल कर्मियों में काफी आक्रोश जाहिर है जिन्होंने मध्य प्रदेश सरकार व भाई शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए जमकर नारेबाजी की और शिवराज चौहान मुर्दाबाद के नारे लगाए। वही ज्ञापन के माध्यम से बताया गया कि म.प्र.बुलंद आवाज नारी शक्ति आंगनवाडी कार्यकर्ता / सहायिका संघ द्वारा अपनी न्यायोचित मांगों को पूरा कराने के लिए समय-समय पर ज्ञापन के माध्यम से आपकी सरकार को अवगत कराया गया है किन्तु सरकार द्वारा मांगों पर कोई विचार नही किया गया है, जिससे हमारी आगंनवाडी कार्यकर्ता/सहायिका बहनों के मन में बहुत ही पीढा व्याप्त है। अस्तु पूरे प्रदेश में हमारे संगठन की आगंनवाडी कार्यकर्ता / सहायिका बहने आपको पुन: रगरण दिलाने के उद्देश्य से 15 मार्च से अनिश्चित कालीन हड़ताल पर है और धरना स्थल पर संवैधानिक एवं शांतिपूर्ण तरीके से तपती धूप में भूखी प्यारी बैठकर अपनी मांगों को पूर्ण होने की आश लगाए हुए है। किन्तु 12 दिवस बीत जाने के उपरांत भी आपकी सरकार के किसी भी जनप्रतिनिधि व प्रशासन अधिकारियों के द्वारा हम बहनों पर किसी भी प्रकार की संवेदन शीलता नही दिखायी और ना ही कोई सूध की है। प्रदेश के संवेदन शील मुख्यमंत्री से निवेदन किया गया है कि अगर सरकार के द्वारा मांगों को पूर्ण करने के संबंध में समय रहते कोई ठोस कदम नही उठाया जाता है। तो समस्त आगनवाडी कार्यकर्ता/सहायिका बहने उग्र आंदोलन करेंगी जिसकी समस्त जवाबदारी सरकार व शासन-प्रशासन की होगी।
यह है प्रमुख मांगे
आगंनवाडी कार्यकर्ता / मिनी कार्यकर्ता / सहायिका को शासकीय कर्मचारी घोषित किया जावें एवं नियमित होने तक कार्यकर्ता व सहायिका को प्रतिमाह न्यूनतम वेतन भुगतान किया जाए। मिनी आगंनवाडी केन्द्रों में पदस्थ कार्यकर्ता को आगंनवाडी कार्यकर्ता का दर्जा दिया जाए एवं पूर्ण मानदेय का भुगतान किया जाए। विभाग के पर्यवेक्षक के सभी पद आगंनवाडी कार्यकर्ताओं को पदोन्नत कर अथवा विभागीय परीक्षा लेकर आगंनवाडी कार्यकर्ता / सहायिका से भरे जाए एवं आगंनवाडी कार्यकर्ताओं को अर्जित अवकाश आकस्मिक अवकाश के साथ-साथ भविष्य निधि, पेंशन, चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाए। सरकार के समय पूर्व में कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं के मानदेय में बढ़ोत्तरी कर कार्यकर्ताओं को 1500 /- रूपए, मिनी कार्यकर्ता को 1250/- रूपए, सहायिका को 750 /- रूपए की वृद्धि की गयी थी जिसे अल्प समय के लिए बनी सरकार के द्वारा निरस्त कर दिया गया था उसे उसी समय से तत्काल लागू करते हुए संपूर्ण राशि का भुगतान एक मुश्त किया जाए।आपकी सरकार द्वारा पूर्व में की गयी घोषणा का अमल में लाते हुए आगनवाडी कार्यकर्ता / मिनी कार्यकर्ता को रिटायरमेंट पर एकमुश्त राशि 5,00,000/- रूपए सहायिका को 2,00,000/- रूपए एवं पद पर कार्यरत होते हुए मृत्यु हो जाने की स्थिति में कार्यकर्ता को 5,00,000/- रूपए सहायिका को 2,00,000/- रूपए की सहायता प्रदान कर उनके परिवार की बहू या बेटी को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए। अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए विगत वर्ष 16.03.2022 से की गयी अनिश्चितकालीन हड़ताल के दौरान काटे गए उक्त दिवसों का पूर्ण मानदेय दिया जाए।