वारासिवनी। परिवहन अधिकारियों ने की इंदौर-भोपाल बस की चेकिंग
वारासिवनी। केबिनेट मंत्री गौरीशंकर बिसेन द्वारा इंदौर-भोपाल से बालाघाट तक चलने वाली बसों में विद्यार्थियों से अधिक किराया वसूलने के मामले में कार्यवाही के आदेश देने के बाद राज एक्सप्रेस जबलपुर द्वारा 28 अगस्त के अंक में मंत्री गौरीशंकर बिसेन के आदेश का पालन कर पायेगा परिवहन विभाग? शीर्षक से समाचार का प्रकाशन किया गया था। जिसके बाद परिवहन विभाग के अधिकारियों ने इंदौर-भोपाल से आने वाली बसों के परमिट व किराये की जॉच करना प्रारंभ कर दिया हैं। सोमवार को लालबर्रा के पास परिवहन विभाग के अधिकारियों ने इंदौर से आ रही वर्मा ट्रेवल्स की बस को रोका और उसकी जॉच की।
परिवहन विभाग के अधिकारियों ने यात्रियों से ली किराये की जानकारी
इस दौरान अधिकारियों ने बस में यात्रा कर रहे यात्रियों से बुकिंग आफिस से लिए गए किराये व ऑनलाईन लिए गए किराये के बारे में जानकारी ली। वहीं बस में यात्रा कर रहे सभी यात्रियों से उन्होंने टिकट देखकर उनके नाम व मोबाईल नम्बर लिखे और बस संचालक द्वारा लिए गए अधिक किराये को उन्हें वापस करवाने का आश्वासन भी दिया।
ऑनलाईन में जीएसटी, एजेंट से बिना जीएसटी के बनी टिकट
यहॉ उल्लेखनीय हैं कि केट, सेट व अन्य परीक्षाओं को देने के लिए जब विद्यार्थीगण 26 अगस्त को बालाघाट व वारासिवनी से गए थे, तो इसी वर्मा बस में उनसे इंदौर का किराया ऑनलाईन लगभग 900 रुपये लिया गया था। लेकिन जब 27 अगस्त को इंदौर से वापस वारासिवनी-बालाघाट आने के लिए इन परीक्षार्थियों ने ऑनलाईन टिकट बुक कराया, तो उनसे 1785 रुपये लिए गए। वहीं एजेंट के माध्यम से टिकट बुक करवाने पर उसके द्वारा टिकट के 1700 रुपये लिए गए। इस तरह ऑनलाईन व ऑफलाईन में भी किराये में अंतर दिखाई दिया।
अधिक किराया वापस दिलवाने का दिया आश्वासन
वर्मा बस की चेकिंग के दौरान परिवहन अधिकारियों ने यात्रियों को बताया कि इंदौर से बालाघाट का किराया लगभग 1100 रुपये होता हैं, उनसे जो अधिक किराया बस संचालक द्वारा लिया गया है, उसे वापस दिलवाया जायेगा। लेकिन बस संचालक के खिलाफ क्या कार्यवाही की जायेगी? इस संबंध में परिवहन विभाग के अधिकारियों ने कुछ नहीं कहा।
ऑनलाईन में जाने में 893 रुपये, आने में 1785 रुपये लगा किराया
इस संबंध में खैरलॉजी निवासी देवी लिल्हारे ने बताया कि वह 26 अगस्त को परीक्षा देने के लिए वर्मा बस से इंदौर गए थे, उस समय उन्हें ऑनलाईन बुकिंग में 896 रुपये लगे थे, लेकिन जब 27 अगस्त को उन्होंने लौटने की ऑनलाईन टिकट बुक कराया, तो उन्हें 1785 रुपये किराया लगा। जो दोगुना था।
आरटीओ के अनुसार 1100 रुपये किराया, लिया 1700 रुपये
वहीं भेंडारा निवासी अतुल भलावे ने बताया कि वह इंदौर में कोचिंग करते हैं। उनके द्वारा इंदौर में एजेंट के माध्यम से वारासिवनी की टिकट बुक करवाई गई थी, जिसके द्वारा 1700 रुपये लिए गए हैं। आरटीओ विभाग के अधिकारियों ने लालबर्रा के पास बस की चेकिंग की थी और उन्होंने सभी बस यात्रियों के नाम व मोबाईल नम्बर लिखकर हस्ताक्षर लिए हैं। आरटीओ विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इंदौर से बालाघाट का किराया लगभग 1100 रुपये हैं। हमसे जो अधिक किराया लिया गया हैं, वह हमें वापस दिलाने की बात आरटीओ के अधिकारियों ने कही हैं।
परिवहन विभाग की कार्यवाही सिर्फ खानापूर्ति नजर आई
सोमवार को परिवहन विभाग के अधिकारियों द्वारा जो कार्यवाही वर्मा बस के खिलाफ की गई हैं, वह भी सिर्फ खानापूर्ति नजर आ रही है। क्योंकि बालाघाट से इंदौर-भोपाल के लिए लगभग 12 बसें चलती हैं, लेकिन कार्यवाही सिर्फ एक बस पर हुई हैं। इसके पूर्व एक नंदन बस पर भी कार्यवाही की गई थी। लेकिन उसके बावजूद भी बसों में किराया कम नहीं होना, कही ना कहीं परिवहन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत की ओर इशारा करता है।
अब देखने वाली बात यह हैं कि इस अनापशनाप किराये के खिलाफ परिवहन विभाग के अधिकारियों द्वारा बस संचालकों पर कोई कार्यवाही की जाती है या नहीं?