बालाघाट। 2 साल में भी नहीं बन पाया छोटा सा नाला
मुंजारे निवास से संचेती फाइनेंस तक नहीं किया गया नाले का निर्माण
बालाघाट। जिले में ठेकेदारों की बाढ़ सी आ गई है छोटा सा निर्माण कार्य खुले तो ठेकेदारों की लाइन लग जाती है, वही अब नेतागिरी करने वाले लोग भी ठेकेदारी में घुस गए हैं। पिछले 5 सालों से यहां बालाघाट नगर में यह चलन चला आ रहा है जिसके वार्ड में कोई निर्माण कार्य खुलता है तो उस वार्ड के पार्षद की रायशुमारी ली जाती है कुछ कार्य तो भाजपा नेता ही स्वयं टेंडर लेकर ठेकेदारी कर रहे है और इसके चक्कर में निर्माण कार्य की धज्जियां उड़ जाती है। कुछ ऐसा ही नगर में हो रहे विकास कार्यों में देखने मिल रहा है, नगर में अंबेडकर चौक से लेकर हनुमान चौक तक एक ओर नाले का निर्माण किया जा रहा है। यह निर्माण कार्य शुरू हुये करीब 2 वर्ष का समय हो गया है लेकिन करीब डेढ़ किलोमीटर का यह नाला अभी तक पूरी तरह नहीं बन पाया है और अभी भी कुछ जगह का निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है।
क्यों नही किया गया तीन सौ मीटर नाले का निर्माण
आपको बताए कि अंबेडकर चौक से लेकर हनुमान चौक तक पक्के नाले का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। निर्माण कार्य का टेंडर राजेश लिल्हारे को दिया गया है और इस निर्माण कार्य की लागत 86 लाख रुपये बताई गई है, यह निर्माण कार्य शुरू तो अपने समय पर हुआ लेकिन यह पूरा निर्माण कार्य शुरू से ही रुक-रुक कर कराया जाता रहा। यही कारण है कि अभी तक यह निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया, अभी भी मुंजारे निवास से संचेती फाइनेंस के ऑफिस तक का नाला निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है।
नगरपालिका के अधिकारी क्यों नहीं दे रहे ध्यान
निर्माण कार्य शुरू हुये काफी समय हो गया है इसके बावजूद भी निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ और अभी बारिश का समय भी नजदीक आ रहा है यदि समय पर नाले का निर्माण कार्य पूरा नहीं किया गया तो समस्या खड़ी हो सकती है। इसके लिए नगरपालिका के तकनीकी अधिकारियों द्वारा ध्यान देना चाहिए तथा निर्माण कार्य किस तरह हो रहा है इसकी समय-समय पर जांच पड़ताल भी किया जाना चाहिए लेकिन ऐसा कुछ देखने नहीं मिल रहा है। यदि किसी ठेकेदार द्वारा समय पर कार्य को पूरा नहीं किया जाता तो उस पर प्रशासन द्वारा कार्यवाही की जाती है, निर्माण कार्य में इतनी लेटलतीफी बरती जा रही है फिर भी नगरपालिका प्रशासन इस कार्य के लिए आखिर क्यो मौन क्यों साधे हुये है।
पेमेंट नहीं होने का बताया जाता है कारण
इस नाले के निर्माण के संबंध में बात की जाती है तो पेमेंट नहीं होना कारण बताया जाता है। शहर मुख्यालय का निर्माण कार्य में इस तरह की लापरवाही होना कोई छोटी बात नही है। सभी की नजर रहती है इसके बावजूद भी नगरपालिका के अधिकारी आंख मूंदे बैठे है यह समझ से परे है। इस निर्माण कार्य के लिए पूरी राशि ठेकेदार को दी गई या नही इसकी जानकारी लिए जाने की आवश्यकता है। पूरी राशि यदि ठेकेदार को दे दी गई है तो निर्माण कार्य में लापरवाही बरते जाने के लिए ठेकेदार और नगरपालिका के निर्माण विभाग के अधिकारियों पर कार्यवाही की जानी चाहिए, ताकि शासन की राशि का बंदरबाट न किया जा सके।